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उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा किये गये महत्वपूर्ण संघर्ष  ः-

1.     वर्ष 1951-52 में प्रदेश व्यापी हड़ताल की गयी थी। हजारों की संख्या में शिक्षक जेल गये तथा हजारों की संख्या में शिक्षक सेवा से पृथक किये गये थे। आंदोलन वापसी के पश्चात सभी शिक्षकों को पुनः सेवा में लिया गया था।

2.     वर्ष 1978 में स्व0 रणधीर सिंह की अध्यक्षता में कर्मचारी-शिक्षक समन्वय समिति का गठन किया गया था। प्रदेश के 02 लाख शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। फलस्वरूप प्राथमिक शिक्षकों ने तृतीय वेतन आयोग की संस्तुतियों से अधिक वेतन प्राप्त किया।

3.     स्व0 श्री भद्रसेन पाण्डेय की अध्यक्षता में सात जनवरी सन् 1986 को प्राथमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में 03 लाख शिक्षकों ने विशाल प्रदर्शन किया तथा विधानसभा के सामने 06 घण्टे का धरना दिया। प्रदेश में लखनऊ से प्रसारित होने वाले समाचार पत्रों ने इसे ऐतिहासिक सैलाब की संज्ञा दी थी तथा जनचर्चा थी कि इतना बड़ा प्रदर्शन लखनऊ की भूति पर न कभी हुआ और न कभी होगा। केन्द्रीय कर्मचारियों की भाॅति वेतन की समानता की मांग को लेकर 14 नवम्बर 1986 को कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के तत्वावधान में पुलिस द्वारा जगह-जगह की गयी घेराबंदी को तोड़कर प्रदेश के शिक्षक एवं कर्मचारियों ने विधान सभा का घेराव किया था तथा 17-01-86 से 29-11-86 प्रदेश में ऐतिहासिक हड़ताल की गई। जिसका नेतृत्व उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष स्व0 श्री भद्रसेन पाण्डेय ने किया था।

4.     चट्टोपाध्याय कमीशन की संस्तुतियों को लागू कराने हेतु अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्देशन पर जिला एवं प्रदेश स्तर पर संघर्ष कार्यक्रम सुदृढ़ता से संचालित किये गये तथा 16-11-88 को दिल्ली के विशाल प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश के 70 प्रतिशत शिक्षकों ने भागीदारी की थी।

5.     वेतन विसंगतियों के सुधान हेतु उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने दिनांक 05-11-89 से 21-11-89 तक जेल भरो कार्यक्रम चलाया, जिसमें लगभग 30 हजार शिक्षक जेल गये। प्राथमिक शिक्षकों की सेवा शर्तों एवं वेतनमानों में सुधार, संघ के उक्त संघर्षों के आधार पर तथा उत्तर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षकों की संघ के प्रति आस्था एवं संगठन शक्ति के कारण हुआ। आज प्रदेश के कर्मचारियों की तुलना में प्रदेश प्राथमिक शिक्षकों के वेतनमानों में पर्याप्त सुधार हुआ है, जो संगठन की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि कही जायेगी।

6.     अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में चट्टोपाध्याय कमीशन के आधार पर वेतनमानों की मांग पर बल देने के लिए वर्ष 1994 में दिल्ली में जेल भरो कार्यक्रम चलाया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के 31 हजार शिक्षकों ने गिरफ्तारियां दीं। आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा बर्बर लाठी चार्ज एवं अश्रु गैस का प्रयोग कर शिक्षकों को प्रताड़ित किया गया, परन्तु शिक्षकों ने अपना आंदोलन जारी रखा।

7.     03 मार्च 1997 में शिक्षक महासंघ के तत्वावधान में प्रदेश के लाखों शिक्षकों ने बेगम हजरत महल पार्क में उपस्थित होकर पंचम वेतन आयोग के अनुरूप पद से पद की समानता के आधार पर प्रदेश के समस्त शिक्षकों को वेतनमान एवं अन्य भत्ते प्रदान करने की मांग की।

8.     अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के तत्वावधान में पंचम वेतन आयोग द्वारा संस्तुत वेतनमान एवं भत्ता को देश के सभी शिक्षकों में लागू कराने एवं पंचम वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर कराने हेतु 15-12-97 से 19-12-97 तक दिल्ली में जेल भरो आन्दोलन चलाया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के 20 हजार शिक्षकों ने गिरफ्तारी दी थी।

9.     संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में 7 जनवरी, 1998 को निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए विधान सभा के सामने धरना दिया गया जिसमें प्रदेश के 2 लाख शिक्षकों ने भागीदारी की। सरकार के नकारात्मक रूख के कारण कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के तत्वावधान में 01 जुलाई से 8 जुलाई तक असहयोग आंदोलन तथा 9 जुलाई से 6 अगस्त तक अनिश्चित कालीन हड़ताल की गयी। ज्ञातव्य है कि सरकार ने दमनात्मक नीति अपनाते हुए हजारों शिक्षकों को नोटिस तथा 50 साल से अधिक उम्र वाले शिक्षकों को सेवा मुक्ति का नोटिस एवं प्रोवेशनल पीरियड में काम करने वाले शिक्षकों को सेवा मुक्त करने का निर्णय लिया। इतना ही नही एक सौ सरसठ शिक्षकों की सेवा समाप्ति के आदेश भी निर्गत कर दिये गये। जिनको हाईकोर्ट ने समाप्त किया और शिक्षक ससम्मान विद्यालयों में वापस हुए।

10.    उ0प्र0 शिक्षक महासंघ के तत्वावधान में पंचम वेतन आयोग की आर्थिक संस्तुतियों से वंचित कर भेदभाव की नीति अपनाने, न्यायोचित मांगों के लिए आंदोलन करने पर दमन एवं उत्पीड़न करने, प्राथमिक शिक्षकों का मृतसंवर्ग  घोषित करने, विद्यालयों में शिक्षकों के स्थान पर निश्चित मानदेय के पैरा टीचर्स नियुक्त करने तथा प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा को पंचायतों के हाथों सौंप देने के विरोध में 22 अगस्त 1999 को अकस्मात शासन ने रैली की अनुमति को निरस्त करके महासंघ के चार प्रमुख नेताओं सर्वश्री अभिमन्यु प्रसाद तिवारी, ओम प्रकाश शर्मा, पंचानन राय एवं अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद रैली वाले दिन 22 अगस्त 1999 को प्रदेश भर में शिक्षकों के प्रति उत्पीड़न की कार्यवाही की गयी। रैली में आने वाले शिक्षकों को खोज-खोज कर वाहनों से उतार लिया गया तथा दिन भर पुलिस हिरासत में रखा गया। लखनऊ पहुॅच गये लगभग 30-40 हजार प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों को गिरफ्तार कर सारे दिन लखनऊ पुलिस लाइन में रखा गया परन्तु इस उत्पीड़न से शिक्षकों के उत्साह में कोई कमी नही आयी।

11.    उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के तत्वावधान में पंचम वेतन आयोग की संस्तुतियों एवं अन्य लम्बित मांगों को लेकर शिक्षक आन्दोलन जारी रहा। इसी क्रम में 21 सितम्बर सन् 2000 को जनपदीय स्तर पर धरना तथा 23 अक्टूबर को लखनऊ में विशाल रैली आयोजित की गयी जिसमें लाखों शिक्षकों ने भाग लिया। अन्त में तत्कालीन प्रधानमंत्री जी के हस्तक्षेप एवं नवनियुक्त मुख्यमंत्री की पहल पर शिक्षकों की प्रमुख मांग केन्द्रीय पंचम वेतन आयोग की आर्थिक संस्तुतियों को पद से पद की समानता के साथ विचार करने हेतु एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया। अन्ततः 11 जून 2001 को शासन ने प्रदेश के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को 01-01-1996 से उनके समकक्ष स्तर के केन्द्रीय शिक्षकों के समान वेतनमान देने की घोषणा कर दी। इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर 21 जुलाई 2001 को प्रदेश के लाखों शिक्षकों ने लखनऊ के ज्योतिबाफुले पार्क में एकत्र होकर अपनी जीत का जश्न मनाते हुए प्रदेशीय नेतृत्व को अभिनन्दन किया, परन्तु नौकरशाही के व्यवधानों के बीच संघ के अथक प्रयासों से तीन बार संशोधित शासनादेश जारी हुये तब कही दिसम्बर 2001 में लक्ष्य की प्राप्ति संभव हो सकी। तत्पश्चात प्रदेश के शिक्षकों को जनवरी 2002 का वेतन नवीन वेतनमानों के अनुसार भुगतान हुआ।

12.    केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति प्रदेश के कर्मचारियों एवं शिक्षकों को 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता जोड़कर वेतन/पेंशन तथा अन्य लाभ दिनांक 01 अप्रैल 2004 से भुगतान की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर के साथ एक क्रमबद्ध आन्दोलन कार्यक्रम संचालित किया गया। एक वर्ष से अधिक समय तक जनपद से प्रदेश स्तर तक चले विभिन्न आन्दोलनों का नेतृत्व उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के यशस्वी अध्यक्ष श्री अभिमन्यु प्रसाद तिवारी ने किया। इन आन्दोलनों में लाखों शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने भाग लिया।

13.    प्रदेश के एक लाख से अधिक असंगठित शिक्षा मित्रों को शिक्षण की मुख्य धारा से जोड़ने तथा उनकी मानवीय समस्याओं जैसे आकस्मिक अवकाश, जीने लायक वेतन, मातृत्व अवकाश एवं भविष्य में शिक्षक बनाने के अवसर उपलब्ध कराने हेतु उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने उन्हें सम्बद्धता प्रदान कर बल प्रदान किया। शिक्षामित्रों की इन ज्यायोचित मांगों को लेकर किये गये आन्दोलन में प्रदेशीय अध्यक्ष जी ने अपनी गिरफ्तारी भी देने की घोषणा की। इसके बाद ही कहीं उन्हें सफलता प्राप्त हो सकी।

14.    केन्द्रीय सरकार द्वारा लाये गये माडल एजूकेशन बिल 2006 (शिक्षा अधिकार बिल) में प्रस्तावित शिक्षा तथा शिक्षकों के विरूद्ध अवांछनीय प्रावधानों को समाप्त करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आहवान पर उत्तर प्रदेश के लगभग 75000 शिक्षक/शिक्षिकाओं ने अपने अध्यक्ष श्री अभिमन्यु प्रसाद तिवारी जी के नेतृत्व में रामलीला मैदान, दिल्ली से संसद भवन तक प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तारियां दी जिसके फलस्वरूप केन्द्र उक्त बिल को लागू करने में सफल नहीं हो सका।

15.    वर्ष 2007 में सम्पन्न प्रदेश विधान सभा के आम निर्वाचन के उपरान्त सुश्री मायावती जी सत्ता में आयीं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की प्रबल मांग पर उन्होंने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने तथा शैक्षिक गुणवत्ता सम्बर्द्धन के लिए 88000 विशिष्ट बी0टी0सी0 प्रशिक्षित शिक्षक/शिक्षिकाओं की दो माह में नियुक्ति करने की घोषणा की जिसकी प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है। साथ ही उन्होंने शिक्षा के महत्व को दृष्टिगत रखते हुए उसे शासन की प्राथमिकताओं में स्थान दिया है।

16.    वर्ष 2008 में छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को केन्द्रीय कर्मचारियों की भाॅति पद से पद की समानता का वेतन शिक्षकों को दिलाना।

17.    वर्ष 2009 में छठे वेतन आयोग में शिक्षकों की विसंगतियों को दूर कराया जाना।

18.    उर्दू शिक्षकों की पदोन्नति हेतु विभाग व सरकार पर दबाव बनाया गया जिसके सुखद परिणाम शीघ्र प्राप्त होने लगे।

19.    मृतक आश्रित शिक्षकों की पदोन्नति प्रक्रिया क्रियान्वित कराना।  

संगठन का प्रयास एवं उपलब्धियाॅं:-       

प्राथमिक शिक्षकों को विभिन्न संघर्षों के पश्चात निम्न सुविधायें हुईं।

1.     स्थानीय निकायों से प्राथमिक शिक्षा को मुक्ति।

2.     प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की स्थापना।

3.     राज्य कर्मचारियों की भांति सेवा निवृत्ति के पश्चात पेंशन तथा सेवा प्रारम्भ करने की तिथि से ही मृत्यु होने की दशा में पारिवारिक पेंशन का लाभ।

4.     62 वर्ष की आयु पर सेवा निवृत्ति। जन्म तिथि 01 जुलाई से आगे पड़ने एवं स्वास्थ्य ठीक होने की दशा में सत्र लाभ की सुविधा।

5.     राज्य एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों को 02 वर्ष की अतिरिक्त सेवा का लाभ।

6.     सम्पूर्ण सेवा अवधि में पूर्ण वेतन पर एक वर्ष का चिकित्सीय अवकाश।

7.     बोनस की सुविधा।

8.     इण्टरमीडिएट का शिक्षक पुत्र/पुत्रियों को निःशुल्क शिक्षा।

9.     उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को 30 प्रतिशत तक प्रति उपविद्यालय निरीक्षक पद पर प्रोन्नति।

10.    लेखा संगठन की स्थापना।

11.    सामूहिक बीमा योजना के अंतर्गत एक लाख रूपये का बीमा।

12.    शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को वेतन के स्लैब पर आधारित मकान किराया भत्ता।

13.    31 दिसम्बर 99 तक 5 वर्ष अथवा उससे अधिक सेवा अवधि पूर्ण करने वाले मृतक शिक्षक आश्रित को प्रशिक्षण से मुक्ति का लाभ।

14.    01 फरवरी, 2000 से 05 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने वाले मृतक शिक्षक आश्रित अप्रशिक्षित शिक्षक/शिक्षिका को बी0टी0सी0 प्रशिक्षित वेतनमान का लाभ।

15.    विकलांग शिक्षकों को वाहन भत्ते की सुविधा।

16.    02 बच्चों तक परिवार सीमित रखने वाले शिक्षकों को एक वेतन वृद्धि बराबर वैयक्तिक वेतन सुविधा।

17.    शिक्षकों को ग्राम पंचायत के अधीन लाने की व्यवस्था में परिवर्तन।

18.    शिक्षकों की पूर्ति हेतु बी0एड0 प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को विशिष्ट बी0टी0सी0 प्रशिक्षित के रूप में नियुक्ति।

19.    हड़ताल के दौरान बर्खास्त 167 शिक्षकों की सवेतन बहाली।

20.    बी0टी0सी0 प्रशिक्षण पुनः प्रारम्भ तथा प्रशिक्षणार्थियों की संख्या 200 तक करना।

21.    केन्द्रीय पंचम वेतन आयोग की संस्तुतियों पर आधारित केन्द्र में समकक्ष स्तर के शिक्षकों के समान 1-1-96 से वेतनमान की स्वीकृति।

22.    जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम की जनपदीय समिति में जिला संगठन को विशेष आमंत्री के रूप में सदस्यता।

23.    सेवारत शिक्षक की असामयिक मृत्यु की स्थिति में उसके आश्रित को योग्यतानुसार शिक्षक, लिपिक या चतुर्थ श्रेणी पद पर सेवायोजित किये जाने का प्राविधान।

24.    46189 बी0एड0 प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को वर्ष 2005 में वरीयता के आधार पर विशिष्ट बी0टी0सी0 का प्रशिक्षण देकर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक के पदों पर नियुक्ति प्रदान करना।

25.    विगत 11 वर्षों से बाधित प्रधानाध्यापक, उच्च प्राथमिक विद्यालय के पदों पर पदोन्नति प्रकरण का निस्तारण कराना।

26.    राज्य पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को पुरस्कार की धनराशि रू0 2000/- से बढ़कार रू0 10000/- कराना।

27.    शिक्षकों के मूल वेतन में महंगाई भत्ते की 50 प्रतिशत धनराशि जोड़कर वेतन तथा सेवा नैवृत्तिक लाभ प्रदान कराना।

28.    सहयोगी संस्थाओं के सहयोग एवं शिक्षकों से एकत्र शैक्षिक विकास शुल्क से शैक्षिक उन्नयन कार्यशालायें एवं संगोष्ठियाॅ आयोजित कर शैक्षिक स्तर में वृद्धि करना।

29.    छठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को केन्द्र के समान लागू कराना तथा उसमें दर्ज विसंगतियों को दूर कराना।